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"कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर
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15:29, 27 नवम्बर 2020 का अवतरण
वो लोग बहुत ख़ुशक़िस्मत थे
जो इश्क़ को काम समझते थे
या काम से आशिक़ी करते थे
हम जीते जी मसरूफ़ रहे
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया
काम इश्क़ के आड़े आता रहा
और इश्क़ से काम उलझता रहा
फिर आख़िर तंग आकर हम ने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया
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