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"कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर

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'''[[केही प्रेम गरेँ, केही कर्म गरेँ / फैज अहमद फैज / सुमन पोखरेल|यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्नलाई यहाँ क्लिक गर्नुहोस्]]'''
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15:29, 27 नवम्बर 2020 का अवतरण

वो लोग बहुत ख़ुशक़िस्मत थे
जो इश्क़ को काम समझते थे
या काम से आशिक़ी करते थे
हम जीते जी मसरूफ़ रहे
कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया

काम इश्क़ के आड़े आता रहा
और इश्क़ से काम उलझता रहा
फिर आख़िर तंग आकर हम ने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया

................................................................... यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्नलाई यहाँ क्लिक गर्नुहोस्

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