भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"केही प्रेम गरेँ, केही कर्म गरेँ / फैज अहमद फैज / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फैज अहमद फैज |अ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) छो |
||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
दिक्क भएर अन्तत: मैले | दिक्क भएर अन्तत: मैले | ||
दुईटैलाई अपूरै छोडिदिएँ। | दुईटैलाई अपूरै छोडिदिएँ। | ||
+ | ................................................................... | ||
+ | |||
+ | '''[[कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़|इस कविता का मूल उर्दू/हिंदी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें]]''' | ||
+ | |||
</poem> | </poem> |
15:30, 27 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण
तिनीहरू भाग्यमानी थिए
जो प्रेमलाई कर्म ठान्दथे
वा कर्म मै मात्र लागिरहन्थे।
म भने जीवनभर व्यस्त रहेँ
केही प्रेम गरेँ, केही कर्म गरेँ।
कर्म प्रेमको वाधक भइरह्यो
र प्रेमसँग कर्म अल्झिरह्यो
दिक्क भएर अन्तत: मैले
दुईटैलाई अपूरै छोडिदिएँ।
...................................................................
इस कविता का मूल उर्दू/हिंदी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें