भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ललकार का स्वागत (मुक्तक) / शंकरलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शंकरलाल द्विवेदी |संग्रह= }} {{KKCatMuktak}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:21, 1 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

यहाँ हर हृदय का स्वागत, सदा होता हृदय से है।
मगर ललकार का स्वागत, सदा तलवार करती है।।
तुम्हें कर तो क्षमा देते; मगर बदला चुकाने को-
हमारे देश की धरती हमें लाचार करती है।।