भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बात यूँ है / नाज़िम हिक़मत / उज्ज्वल भट्टाचार्य" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाज़िम हिक़मत |अनुवादक=उज्ज्वल भ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 28: | पंक्ति 28: | ||
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य''' | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य''' | ||
+ | ...................................................................... | ||
+ | '''[[अहम् कुरो / नाजिम हिकमत / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।]]''' | ||
</poem> | </poem> |
11:21, 3 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
आगे बढ़ती धूप के सामने खड़ा हूँ,
मेरी हथेलियां भूखी हैं,
दुनिया ख़ूबसूरत है ।
दरख़्तों को देख
मेरी आंखें थकती नहीं...
कितनी उम्मीदों से भरे, कितने हरे-भरे ।
बेरी की झाड़ को चीरती
एक धूपहली सड़क,
मैं खड़ा क़ैदखाने की खिड़की के सामने ।
दवाइयों की महक अ
ब नहीं आती...
पास कहीं खिलते होंगे गुलनार के फूल ।
बात बस यूँ है :
गिरफ़्तारी पर कोई बस नहीं,
ख़ुद को उनके सुपुर्द नहीं करना है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य
......................................................................
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।