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"मुझको भी तरकीब सिखा / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे | मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे | ||
अकसर तुझको देखा है कि ताना बुनते | अकसर तुझको देखा है कि ताना बुनते | ||
− | जब कोई तागा टूट गया या | + | जब कोई तागा टूट गया या ख़त्म हुआ |
− | फिर से | + | फिर से बाँध के |
− | और सिरा कोई जोड़ के | + | और सिरा कोई जोड़ के उसमें |
आगे बुनने लगते हो | आगे बुनने लगते हो | ||
तेरे इस ताने में लेकिन | तेरे इस ताने में लेकिन | ||
− | इक भी | + | इक भी गाँठ गिरह बुन्तर की |
देख नहीं सकता कोई | देख नहीं सकता कोई | ||
− | + | मैंने तो एक बार बुना था एक ही रिश्ता | |
− | लेकिन उसकी सारी | + | लेकिन उसकी सारी गिरहें |
− | साफ | + | साफ नज़र आती हैं मेरे यार जुलाहे |
मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे | मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे | ||
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+ | '''[[मलाई पनि सिकाइदेऊ तरिका / गुलजार / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ]]''' | ||
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10:01, 4 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे
अकसर तुझको देखा है कि ताना बुनते
जब कोई तागा टूट गया या ख़त्म हुआ
फिर से बाँध के
और सिरा कोई जोड़ के उसमें
आगे बुनने लगते हो
तेरे इस ताने में लेकिन
इक भी गाँठ गिरह बुन्तर की
देख नहीं सकता कोई
मैंने तो एक बार बुना था एक ही रिश्ता
लेकिन उसकी सारी गिरहें
साफ नज़र आती हैं मेरे यार जुलाहे
मुझको भी तरकीब सिखा दे यार जुलाहे
……………………………………………
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ