{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=गुलज़ार]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह = [[Category:गुलज़ार]]}} <poem>कुरान हाथों में लेके नाबीना एक नमाज़ी लबों पे रखता था दोनों आँखों से चूमता था झुकाके पेशानी यूँ अक़ीदत से छू रहा था जो आयतें पढ़ नहीं सका उन के लम्स महसूस कर रहा हो
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कुरान हाथों में लेके नाबीना एक नमाज़ी <br>लबों पे रखता मैं हैराँ-हैराँ गुज़र गया था <br>दोनों आँखों से चूमता था<br> झुकाके पेशानी यूँ अक़ीदत से छू रहा था <br>जो आयतं पढ़ नहीं सका <br>उन के लम्स महसूस कर रहा हो <br><br>मैं हैराँ हैराँ ठहर गया हूँ
मैं हैराँ-हैराँ गुज़र गया था <br>तुम्हारे हाथों को चूम कर छू के अपनी आँखों से आज मैं हैराँ हैराँ ठहर गया हूँ <br><br>ने जो आयतें पढ़ नहीं सका उन के लम्स महसूस कर लिये हैं
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'''[[स्पर्श / गुलजार / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।]]'''
तुम्हारे हाथों को चूम कर <br>छू के अपनी आँखों से आज मैं ने <br>जो आयतें पड़ नहीं सका <br>उन के लम्स महसूस कर लिये हैं <br><br/poem>