भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुनेगा बात अपनी चल कोई तो / राज़िक़ अंसारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राज़िक़ अंसारी }} {{KKCatGhazal}} <poem> सुनेगा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
07:57, 20 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
सुनेगा अपनी बातें चल कोई तो
मिलेगा दश्त में पागल कोई तो
सड़क पर कर रही है धूप तांडव
बरसना चाहिए बादल कोई तो
मिलेगी हौसलों की दाद हमको
सफ़र नामा पढ़ेगा कल कोई तो
कोई तो हाल पुछेगा हमारा
करेगा ज़ख्म का टोटल कोई तो
सभी के हाथ में कंकर है लेकिन
मचाए झील में हलचल कोई तो
मेरी दीवानगी पर क़ैस बोला
हमारे बाद है पागल कोई तो