भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नव-वर्ष अर्चना / मानोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मानोशी {{KKCatGeet}} <poem>हो नववर्ष सुमंगल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

21:15, 31 दिसम्बर 2020 का अवतरण

{{KKRachna |रचनाकार=मानोशी

हो नववर्ष सुमंगलकारी ।
ऐसी करना कृपा मुरारी ।।

दु:ख के दिन ना कोई हों अब,
बगिया में फूले महकें सब,
जीवन ख़ुशियों का मेला हो
चहके हर आँगन चहुंदिक् सब,
हर घर बच्चे की किलकारी
ऐसी करना कृपा मुरारी ।।

काम क्रोध हर कोई त्यागे,
आलोकित अंतरमन जागे,
मानव-मानव भेद रहे ना
ईश-भक्ति में हर मन लागे,
प्रेम रंग खेलें पिचकारी
ऐसी करना कृपा मुरारी ।।

सपने पूरे हों हर मन के,
हों संकल्प पूर्ण जीवन के,
जग अँधियारा दूर करो प्रभु
कष्ट मिटे बेबस निर्धन के,
हो यह विनय अमंगलहारी
ऐसी करना कृपा मुरारी ।।