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"जूड़ा के फूल / अनुज लुगुन" के अवतरणों में अंतर

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अपनी भाषा की खेती करना
 
अपनी भाषा की खेती करना
 
हमारे जूड़ों में
 
हमारे जूड़ों में
नहीं शोभते इसके फूल,
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नहीं शोभते इसके फूल...
हमारी घने
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काले जूड़ों में शोभते हैं
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हमारे घने
जंगल के फूल
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काले जूड़ों में शोभते हैं जंगल के फूल
 
जंगली फूलों से ही
 
जंगली फूलों से ही
हमारी जूड़ों का सार है,
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हमारी जूड़ों का सार है...
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काले बादलों के बीच
 
काले बादलों के बीच
 
पूर्णिमा की चाँद की तरह
 
पूर्णिमा की चाँद की तरह
ये मुस्काराते हैं ।
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ये मुस्कराते हैं।
 
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11:05, 10 जनवरी 2021 के समय का अवतरण

छोड़ दो हमारी ज़मीन पर
अपनी भाषा की खेती करना
हमारे जूड़ों में
नहीं शोभते इसके फूल...

हमारे घने
काले जूड़ों में शोभते हैं जंगल के फूल
जंगली फूलों से ही
हमारी जूड़ों का सार है...

काले बादलों के बीच
पूर्णिमा की चाँद की तरह
ये मुस्कराते हैं।