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"जीवन क्या है! / सुरंगमा यादव" के अवतरणों में अंतर
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+ | आपका आना | ||
+ | हिलोरें-सी उठना | ||
+ | शांत नदी में । | ||
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+ | चाँद लेखनी | ||
+ | लहरों पर लिखूँ | ||
+ | प्रेम रागिनी। | ||
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+ | ओ मनमीत ! | ||
+ | बिन कहे कहानी | ||
+ | तुमने जानी। | ||
+ | 27 | ||
+ | मुकुलित थीं | ||
+ | तुम्हें देख मन की | ||
+ | आशाएँ खिलीं। | ||
+ | 28 | ||
+ | खिली पूर्णिमा | ||
+ | प्रेम दीप के बिना | ||
+ | उजाला कहाँ? | ||
+ | 29 | ||
+ | रात प्रहरी | ||
+ | कैसे आऊँ मैं प्रिय ? | ||
+ | लाँघ देहरी। | ||
+ | 30 | ||
+ | प्रेम आँकना | ||
+ | शब्दों की तुला पर | ||
+ | है सहज न ! | ||
+ | 31 | ||
+ | तुम्हारा स्पर्श | ||
+ | सूर्यकांत मणि-सी | ||
+ | पिघलती मैं । | ||
+ | 32 | ||
+ | प्रेम तुम्हारा | ||
+ | लिखता मन पर | ||
+ | प्रणय ग्रन्थ । | ||
+ | 33 | ||
+ | '''जीवन क्या है!''' | ||
उड़ी, चढ़ी लो कटी | उड़ी, चढ़ी लो कटी | ||
गिरी पतंग | गिरी पतंग | ||
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00:22, 19 जनवरी 2021 के समय का अवतरण
23
तुम्हारे बिन
पतझड़ का वृक्ष
मेरा जीवन।
24
आपका आना
हिलोरें-सी उठना
शांत नदी में ।
25
चाँद लेखनी
लहरों पर लिखूँ
प्रेम रागिनी।
26
ओ मनमीत !
बिन कहे कहानी
तुमने जानी।
27
मुकुलित थीं
तुम्हें देख मन की
आशाएँ खिलीं।
28
खिली पूर्णिमा
प्रेम दीप के बिना
उजाला कहाँ?
29
रात प्रहरी
कैसे आऊँ मैं प्रिय ?
लाँघ देहरी।
30
प्रेम आँकना
शब्दों की तुला पर
है सहज न !
31
तुम्हारा स्पर्श
सूर्यकांत मणि-सी
पिघलती मैं ।
32
प्रेम तुम्हारा
लिखता मन पर
प्रणय ग्रन्थ ।
33
जीवन क्या है!
उड़ी, चढ़ी लो कटी
गिरी पतंग