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"एक गन्ना चूसकर हम / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर

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और कोल्हू - बैल के तन में अभी  
 
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ज़िन्दा हिरन - मन,  
 
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चौकड़ी भरते ख़यालों को सँजोए  
 
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एक आँगनहीन घर बेनाम जी लेंगे !  
 
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आँगन - गेह चौपालें - कथाएँ  
 
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नागफन ब्योहार अन्धियारा घुटन  
 
नागफन ब्योहार अन्धियारा घुटन  
गूँगी बिथाएँ ,  
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देखने - भर को बड़प्पन हम बड़ों का  
 
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हर गली कूचा सड़क बदनाम जी लेंगे !  
 
हर गली कूचा सड़क बदनाम जी लेंगे !  
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टूटकर उम्मीद जुड़ने की लिए  
 
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पल - छिन बिखरना,  
 
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ज़िन्दगी की हर किरच फिर भी समेटे  
 
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बेमज़ा - बेसूद सुबहो - शाम जी लेंगे !
 
बेमज़ा - बेसूद सुबहो - शाम जी लेंगे !
 
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18:02, 21 जनवरी 2021 के समय का अवतरण

एक गन्ना चूसकर हम
इस शहर में
गाम जी लेंगे ,
गाम जी लेंगे कि अपना नाम जी लेंगे !

धूल - धूसर पन्थ गोहर गन्ध
खेतों का खुलापन
और कोल्हू - बैल के तन में अभी
ज़िन्दा हिरन - मन,

चौकड़ी भरते ख़यालों को सँजोए
एक आँगनहीन घर बेनाम जी लेंगे !

दूब - जैसा नेह
आँगन - गेह चौपालें - कथाएँ
नागफन ब्योहार अन्धियारा घुटन
गूँगी बिथाएँ,
 
देखने - भर को बड़प्पन हम बड़ों का
हर गली कूचा सड़क बदनाम जी लेंगे !

धान - गेहूँ - ईख - जैसी सीख
पिसना और पिरना
टूटकर उम्मीद जुड़ने की लिए
पल - छिन बिखरना,

ज़िन्दगी की हर किरच फिर भी समेटे
बेमज़ा - बेसूद सुबहो - शाम जी लेंगे !