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"उड़ै छै चितचोर / अनिल कुमार झा" के अवतरणों में अंतर

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पुरवैया संग बदरा उड़ै छै चितचोर। नदिया किनारी पे झूमै बसवारी
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पुरवैया संग बदरा उड़ै छै चितचोर।  
फुनगी चिड़या ते पिया केरी प्यारी,
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नदिया किनारी पर झूमै बसवारी
मातली झूमै छै दिशा-दिशा शोर। अखनी यहाँ छेलै, अखनी गेलै
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फुनगी चिड़या ते पिया केरी प्यारी,  
क्षणै में लागै कि हित कुटुम भेलै,
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मातली झूमै छै दिशा-दिशा शोर।  
किंछा किनारी पे कत्ते हिलोर। कारी बदरिया के प्रेमी हजारों
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अखनी यहाँ छेलै, अखनी गेलै
सुख दुख बिसरी के ओकरे निहारों,
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क्षणै में लागै कि हित कुटुम भेलै,  
देखी देखी मोन हुअेॅ कत्ते विभोर। बिन बदरा के ते जीवन सूनोॅ
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किंछा किनारी पर कत्ते हिलोर।  
ओकरा देखी के सपना बूनोॅ,
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कारी बदरिया के प्रेमी हजारों
एकरे से घुरतै ई भोरकोॅ इंजोर।
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सुख दुख बिसरी के ओकरे निहारों,  
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देखी देखी मोन हुअेॅ कत्ते विभोर।  
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बिन बदरा के ते जीवन सूनोॅ
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ओकरा देखी के सपना बूनोॅ,  
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एकरे से घुरतै ई भोरकोॅ इंजोर।  
 
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19:06, 22 जनवरी 2021 के समय का अवतरण

पुरवैया संग बदरा उड़ै छै चितचोर।
नदिया किनारी पर झूमै बसवारी
फुनगी चिड़या ते पिया केरी प्यारी,
मातली झूमै छै दिशा-दिशा शोर।
अखनी यहाँ छेलै, अखनी गेलै
क्षणै में लागै कि हित कुटुम भेलै,
किंछा किनारी पर कत्ते हिलोर।
कारी बदरिया के प्रेमी हजारों
सुख दुख बिसरी के ओकरे निहारों,
देखी देखी मोन हुअेॅ कत्ते विभोर।
बिन बदरा के ते जीवन सूनोॅ
ओकरा देखी के सपना बूनोॅ,
एकरे से घुरतै ई भोरकोॅ इंजोर।