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"जा, जर्जरित भारत, जा ! आ, नवभारत, तू आ ! / सुब्रह्मण्यम भारती" के अवतरणों में अंतर

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मूल तमिल से अनुवाद (कृष्णा की सहायता से): अनिल जनविजय
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'''मूल तमिल से अनुवाद (कृष्णा की सहायता से) : अनिल जनविजय'''
 
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23:16, 18 मार्च 2021 के समय का अवतरण

ओ दुर्बल कन्धोंवाले, भारत !
                     जा जा जा, जा तू भाग !
ओ दबे हुए सीनेवाले, भारत !
                     जा जा जा, जा तू भाग !
ओ तेजहीन मुखवाले, भारत !
                     जा जा जा, जा तू भाग !
ओ निष्प्रभ आँखोंवाले, भारत !
                     जा जा जा, जा तू भाग !
ओ कातर, दीन-हीन वाणी वाले
                     जा जा जा, जा तू भाग !
ओ कान्तिहीन तनवाले भारत !
                     जा जा जा, जा तू भाग !
ओ भयभीत दिलवाले, भारत !
                     जा जा जा, जा तू भाग !
ओ ओछी-छूछी हरकतों वाले, भारत !
                     जा जा जा, जा तू भाग !

आ आ आ, आ तू आ !
                     कान्तियुक्त आँखों वाले भारत आ !
आ आ आ, आ तू आ !
                     दृढ़ संकल्पोंवाले भारत आ !
आ आ आ, आ तू आ !
                     मनमोहक वाणीवाले भारत आ !
आ आ आ, आ तू आ  !
                     ताक़तवर कन्धोंवाले भारत आ !
आ आ आ, आ तू आ  !
                     निर्मल मति-गति वाले भारत आ !
आ आ आ, आ तू आ  !
                     ओछेपन को देख खौलनेवाले भारत आ !
आ आ आ, आ तू आ  !
                     दीनों के दुख में रोनेवाले भारत आ !
आ आ आ, आ तू आ  !
                     वृषभ शान से चलनेवाले भारत आ !

आ आ आ, आ तू आ  !
फिर कहीं नहीं जा
यहीं रह जा !

मूल तमिल से अनुवाद (कृष्णा की सहायता से) : अनिल जनविजय