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"हाइकु / हरदीप कौर संधु / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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सावन-झड़ी 
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गुलगुले-मठरी 
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माँ की रसोई.
  
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सौंणों सगर
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गुलगुला मठरी
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ब्वे का रूसाड़ा
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कैमरा क्लिक 
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मुँह छुपाए अम्मा 
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ताई कहे न!
  
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कैमरा क्लिक
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मुक लुकौंदी ब्वे बी
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बौडी बुल्दी ना
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बादल छाए 
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दादी न चैन पाए 
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उपले ढके.
  
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बादळ लग्याँ
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दादी तैं नी च चैन
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ग्वाँसा ढकणी
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दे रही है पहरा 
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बापू की खाँसी.
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रात अन्ध्यारी
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बुबाजी खाँसी
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याद किशोरी 
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मन खिड़की खोल 
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करे कलोल।
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भूल न पाया, 
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जब-जब साँस ली; 
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तू याद आया।
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भूलि नी सक्यूँ
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जब-जब साँस ले
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तू याद आएँ
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वक्त ने भरे 
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तेरी याद के जख्म 
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फिर से हरे।
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बग्तन भरी
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तेरी खुद का घौ बी
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फीर से हौरा
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जन्मी बिटिया 
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खुशबू ही खुशबू, 
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आँगन खिला।
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जल्मी जु नौंनी
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खुसबो ई खुसबो
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चौक खिली गी
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तू मेरा सूर्य 
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घूमती जाऊँ ऐसे, 
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मैं तेरी धरा।
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तु म्येरु सुर्ज
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घुमणु इन रौलू
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मैं तेरी पिर्थी
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दर्द व प्रेम 
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मुझे जो तूने दिया 
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आँचल भरा।
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पिड़ा र माया
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मैं तैं जु तिन द्याई
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पल्ला भोरी ग्ये
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विश्वास-पाखी 
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ढूँढे हरी शाखाएँ 
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फैला भुजाएँ।
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बिस्वास पंछी
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खोजणु हौरा फाँगा
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फैलै अंग्वाळ
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छाईं घटाएँ
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ज्यों सिर से फिसली 
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तेरी चूनर।
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छै ग्ये बादळ
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जु मुंड बटी रड़ी
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तेरी य चुन्नी
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20:18, 3 मई 2021 के समय का अवतरण

 1
सावन-झड़ी
गुलगुले-मठरी
माँ की रसोई.

सौंणों सगर
गुलगुला मठरी
ब्वे का रूसाड़ा
2
कैमरा क्लिक
मुँह छुपाए अम्मा
ताई कहे न!

कैमरा क्लिक
मुक लुकौंदी ब्वे बी
बौडी बुल्दी ना
3
बादल छाए
दादी न चैन पाए
उपले ढके.

बादळ लग्याँ
दादी तैं नी च चैन
ग्वाँसा ढकणी
4
रात अँधेरी
दे रही है पहरा
बापू की खाँसी.

रात अन्ध्यारी
जग्वाळी कन्नी रौंदी
बुबाजी खाँसी

5
याद किशोरी
मन खिड़की खोल
करे कलोल।

याद पठोळी
मन खिड़की ख्वन्नू
कन्नू छेड़ सी
6
भूल न पाया,
जब-जब साँस ली;
तू याद आया।

भूलि नी सक्यूँ
जब-जब साँस ले
तू याद आएँ
7
वक्त ने भरे
तेरी याद के जख्म
फिर से हरे।

बग्तन भरी
तेरी खुद का घौ बी
फीर से हौरा
8
जन्मी बिटिया
खुशबू ही खुशबू,
आँगन खिला।

जल्मी जु नौंनी
खुसबो ई खुसबो
चौक खिली गी
9
तू मेरा सूर्य
घूमती जाऊँ ऐसे,
मैं तेरी धरा।

तु म्येरु सुर्ज
घुमणु इन रौलू
मैं तेरी पिर्थी
10
दर्द व प्रेम
मुझे जो तूने दिया
आँचल भरा।

पिड़ा र माया
मैं तैं जु तिन द्याई
पल्ला भोरी ग्ये
11
विश्वास-पाखी
ढूँढे हरी शाखाएँ
फैला भुजाएँ।

बिस्वास पंछी
खोजणु हौरा फाँगा
फैलै अंग्वाळ
12
छाईं घटाएँ
ज्यों सिर से फिसली
तेरी चूनर।

छै ग्ये बादळ
जु मुंड बटी रड़ी
तेरी य चुन्नी
-0-