भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बोलो जुबाँ सम्भाल कर, सरकार ने कहा है / फूलचन्द गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फूलचन्द गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:19, 12 मई 2021 के समय का अवतरण

बोलो जुबाँ सम्भाल कर, सरकार ने कहा है ।
फन्दा गले में डाल कर, सरकार ने कहा है ।

हमने कहा तो रात है, हमने कहा तो दिन,
सूरज मिरा हलाल कर, सरकार ने कहा है ।

दाना, लिबास, दर नहीं, कुछ और बात कर,
वाजिब कोई सवाल कर, सरकार ने कहा है ।

तू चीख़ मत, तू हँस-हँसा, किरदार तू निभा,
जोकर है तू कमाल कर, सरकार ने कहा है ।

तारीफ़ हो, आलोचना कोई करे अगर,
सड़कों पे आ धमाल कर, सरकार ने कहा है ।

सबके सवाल हल हुए, सबको सुकून है,
जुमले नए उछाल कर, सरकार ने कहा है

सारे चिराग तोड़ दे, ख़तम तीरगी हुई,
सबका यक़ीं निढाल कर सरकार ने कहा है ।