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"उजाला तुम्हीं / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हीं बाती व नेह
 
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बूँद- बूँद दुःख पी
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तृप्त हो मन।
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हाथ तुम्हारे
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लिख दूँ सर्व सुख
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वश जो चले।
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14:19, 23 जून 2021 का अवतरण

1
मैं सिर्फ दीप
तुम्हीं बाती व नेह
उजाला तुम्हीं।
2
उष्ण चुम्बन
बूँद- बूँद दुःख पी
तृप्त हो मन।
3
हाथ तुम्हारे
लिख दूँ सर्व सुख
वश जो चले।