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"देखा जाएगा / देवेन्द्र आर्य" के अवतरणों में अंतर
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केवल ख़तरा-ख़तरा चिल्लाने से बेहतर है | केवल ख़तरा-ख़तरा चिल्लाने से बेहतर है | ||
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10:24, 11 जुलाई 2021 के समय का अवतरण
होगा, जो भी होगा साला
देखा जाएगा।
क्या कर लेगा ऊपरवाला
देखा जाएगा।
डर जीवन की पहली और अन्तिम कठिनाई है
मौत को लेकर सौदेबाज़ी होती आई है
करो कलेजा कड़ा
आँख में आँखें डाल कहो
यह लो अपनी कण्ठी माला, देखा जाएगा।
पुल के नीचे एक किनारे दुबकी पड़ी नदी
दुनिया, दुनिया वालों से रहती है कटी-कटी
सपने सावन के अन्धों की भीड़ हो गए हैं
अन्धों से भी कहीं उजाला देखा जाएगा ?
मरना सच है, जानके भी
किसने जीना छोड़ा
सच की राह में अपना टुच्चापन ही है रोड़ा
केवल ख़तरा-ख़तरा चिल्लाने से बेहतर है
मार लें हम होंठों पर ताला
देखा जाएगा।