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"घटिया सी एक शराब है शातिर की दोस्ती / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर
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15:29, 9 सितम्बर 2021 के समय का अवतरण
घटिया सी एक शराब है शातिर की दोस्ती ।
सीने का एक घाव है शातिर की दोस्ती ।।
अपनी ज़मीर, अपनी ज़मी, देख कर चलो ।
मतलब का इक पड़ाव है शातिर की दोस्ती ।।
छोटी सी एक बात पर रख देगा तोड़ कर ।
बनिये का भाव-ताव है शातिर की दोस्ती ।।
उसकी फ़रेबदार जुबाँ पर न जाइए —
नेता का इक चुनाव है शातिर की दोस्ती ।।
जितना यक़ीन करते गए डूबते गए ।
टूटी सी एक नाव है शातिर की दोस्ती ।।
सम्बन्ध टूटने के बाद कहते फिरोगे —
नासूर का रिसाव है शातिर की दोस्ती ।।