"बहुत बड़ी हार है / विद्याधर द्विवेदी 'विज्ञ'" के अवतरणों में अंतर
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दर्द मैं जिला रहा | दर्द मैं जिला रहा | ||
मगर कहूँ कि दर्द ही सिंगार है | मगर कहूँ कि दर्द ही सिंगार है | ||
− | बहुत बड़ी हार | + | बहुत बड़ी हार है । |
प्यार थके प्राणों की पीर नापने लगा | प्यार थके प्राणों की पीर नापने लगा | ||
− | सुधियों का फूल सा शरीर | + | सुधियों का फूल-सा शरीर काँपने लगा |
डिगा नहीं फिर भी यह दर्द का पपीहरा | डिगा नहीं फिर भी यह दर्द का पपीहरा | ||
नीर भरे नयनों के तीर झाँकने लगा | नीर भरे नयनों के तीर झाँकने लगा | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
अश्रु पिये जा रहा | अश्रु पिये जा रहा | ||
मगर कहूँ कि अश्रु ही बहार है | मगर कहूँ कि अश्रु ही बहार है | ||
− | बहुत बड़ी हार | + | बहुत बड़ी हार है । |
कण्ठों से करुणा का राग उड़ा जा रहा | कण्ठों से करुणा का राग उड़ा जा रहा | ||
− | दुलहिन सी प्यास का सुहाग उड़ा जा रहा | + | दुलहिन-सी प्यास का सुहाग उड़ा जा रहा |
− | उड़ा जा रहा यौवन | + | उड़ा जा रहा यौवन बन्धन की बाँह में |
आहों में साँस का पराग उड़ा जा रहा | आहों में साँस का पराग उड़ा जा रहा | ||
गीत गुनगुना रहा | गीत गुनगुना रहा | ||
मगर कहूँ कि गीत ही सितार है | मगर कहूँ कि गीत ही सितार है | ||
− | बहुत बड़ी हार | + | बहुत बड़ी हार है । |
गीतों में ज़िन्दगी न राह अभी पा सकी | गीतों में ज़िन्दगी न राह अभी पा सकी | ||
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मौन चला जा रहा | मौन चला जा रहा | ||
मगर कहूँ कि मौन ही पुकार है | मगर कहूँ कि मौन ही पुकार है | ||
− | बहुत बड़ी हार | + | बहुत बड़ी हार है । |
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20:06, 15 अक्टूबर 2021 के समय का अवतरण
दर्द मैं जिला रहा
मगर कहूँ कि दर्द ही सिंगार है
बहुत बड़ी हार है ।
प्यार थके प्राणों की पीर नापने लगा
सुधियों का फूल-सा शरीर काँपने लगा
डिगा नहीं फिर भी यह दर्द का पपीहरा
नीर भरे नयनों के तीर झाँकने लगा
अश्रु पिये जा रहा
मगर कहूँ कि अश्रु ही बहार है
बहुत बड़ी हार है ।
कण्ठों से करुणा का राग उड़ा जा रहा
दुलहिन-सी प्यास का सुहाग उड़ा जा रहा
उड़ा जा रहा यौवन बन्धन की बाँह में
आहों में साँस का पराग उड़ा जा रहा
गीत गुनगुना रहा
मगर कहूँ कि गीत ही सितार है
बहुत बड़ी हार है ।
गीतों में ज़िन्दगी न राह अभी पा सकी
आँसू की बाढ़ में ना थाह अभी पा सकी
सुन सका न दर्द अभी मंज़िल की रागिनी
प्यास भरी चातकी न चाह अभी पा सकी
मौन चला जा रहा
मगर कहूँ कि मौन ही पुकार है
बहुत बड़ी हार है ।