भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पानी / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:37, 28 नवम्बर 2021 के समय का अवतरण
मत फेकोॅ जानी के पानी
राखोॅ खुच्चों खान्हीं-खन्हीं
दिक्कत होला से पहिनें सब
चलॉे बचाबॉे कनकन पानी।
जब भी पीयोॅ छानी-छानी
खूब सीसोहोॅ टटका पानी
नो बजथैं सूतै के घरिया
तानोॅ पहिनें मच्छरदानी।