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संउसे देसवा मजूर, रउआ काम लिहीं जी,
रउवा नेता हईं, हमरो सलाम लिहीं जी।
रउआ गद्दावाली कुरूसी प बइठल रहीं,
जनता भेड़-बकरी ह, ओकर चाम लिहीं जी।
रउआ पटना भा दिल्ली में बिरजले रहीं,
केहू मरे, रउआ रामजी के नाम लिहीं जी।
रचनाकाल : 24 जनवरी 1978