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"म फूलसँग भूलूँ कि / रवीन्द्र शाह" के अवतरणों में अंतर
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म फूलसँग भुलूँ कि म दिलसँग झुलूँ कि
आफ्नोआफ्नो रङ्गमा आफ्नोआफ्नो ढङ्गमा
म धर्तीमा एक्लै चलूँ कि
मलाई उनको चाह छ, मुटुभित्र आह छ
म एक्लै बाँच्न सक्दिनँ, म एक्लै हाँस्न सक्दिनँ
म प्रीतको बोली बोलूँ कि, म रीतको बाजी भुलूँ कि
मधुरो गीत गाउनु छ, अधुरो प्रीति लाउनु छ
म नौ लाख तारा साँच्दिनँ, म दुनियाँमा अब बाँच्दिनँ
म ज्यूँदै हात मोलूँ कि, म प्यूँदै छाती खोलूँ कि