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"गहन-सघन मनमोहक वन तरु मुझको आज बुलाते हैं / रॉबर फ़्रास्ट / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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ROBERT FROST | ROBERT FROST | ||
06:33, 17 मार्च 2022 के समय का अवतरण
गहन-सघन मनमोहक वन तरु मुझको आज बुलाते हैं
किन्तु किए जो वादे मैंने, याद मुझे आ जाते हैं
अभी कहाँ आराम बदा यह मूक निमंत्रण छलना है
अरे, अभी तो मीलों मुझको मीलों मुझको चलना है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : हरिवंशराय बच्चन
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ROBERT FROST
The woods are lovely, dark and deep,
But I have promises to keep,
And miles to go before I sleep,
And miles to go before I sleep.