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"अरे कहीं देखा है तुमने / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
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अरे कहीं देखा है तुमने | अरे कहीं देखा है तुमने | ||
− | मुझे प्यार करने | + | मुझे प्यार करने वाले को? |
मेरी आँखों में आकर फिर | मेरी आँखों में आकर फिर | ||
− | आँसू बन ढरने | + | आँसू बन ढरने वाले को? |
सूने नभ में आग जलाकर | सूने नभ में आग जलाकर | ||
यह सुवर्ण-सा ह्रदय गला कर | यह सुवर्ण-सा ह्रदय गला कर | ||
जीवन-संध्या को नहलाकर | जीवन-संध्या को नहलाकर | ||
− | रिक्त जलधि भरने | + | रिक्त जलधि भरने वाले को? |
रजनी के लघु-लघु तम कन में | रजनी के लघु-लघु तम कन में | ||
जगती की ऊष्मा के वन में | जगती की ऊष्मा के वन में | ||
उसपर परते तुहिन सघन में | उसपर परते तुहिन सघन में | ||
− | छिप, मुझसे डरने | + | छिप, मुझसे डरने वाले को? |
निष्ठुर खेलों पर जो अपने | निष्ठुर खेलों पर जो अपने | ||
रहा देखता सुख के सपने | रहा देखता सुख के सपने | ||
आज लगा है क्यों वह कंपने | आज लगा है क्यों वह कंपने | ||
देख मौन मरने वाले को? | देख मौन मरने वाले को? |
16:41, 4 अप्रैल 2022 के समय का अवतरण
अरे कहीं देखा है तुमने
मुझे प्यार करने वाले को?
मेरी आँखों में आकर फिर
आँसू बन ढरने वाले को?
सूने नभ में आग जलाकर
यह सुवर्ण-सा ह्रदय गला कर
जीवन-संध्या को नहलाकर
रिक्त जलधि भरने वाले को?
रजनी के लघु-लघु तम कन में
जगती की ऊष्मा के वन में
उसपर परते तुहिन सघन में
छिप, मुझसे डरने वाले को?
निष्ठुर खेलों पर जो अपने
रहा देखता सुख के सपने
आज लगा है क्यों वह कंपने
देख मौन मरने वाले को?