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रविवार सुबह । गिरजे के सामने एक बेंच पर
ग़रीब तबके की एक बुढ़िया ।
अन्दर ऑर्गन का संगीत । बुढ़िया का ध्यान चिड़ियों के चहचहाने पर ।
उसकी बहनें माँग रही हैं ईश्वर का आशीर्वाद । वह इकट्ठा कर रही है
धूप की कुछ गर्म किरणें, जैसे थकी-हारी बटोरने वाली
फ़सल कटने के बाद बचे अनाज बटोरती है ।
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य