भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अनाथ मुर्दा / शेखर सिंह मंगलम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शेखर सिंह मंगलम |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:16, 30 अप्रैल 2022 के समय का अवतरण

किसी संक्रमित शव से
संवेदनाएं उतना ही भयभीत होती हैं
जितना कि
नौ महीने की गर्भिणी ऊँचाई से
ढह जाने से भय खाती है।

कभी ठोकर खा गर्भिणी
ज़मीन पे (यक-ब-यक) ढुमनिया जाए तो
वह अपनी छोड़ती (साँसें) नहीं अपितु
टटोलती है अपने गर्भ का बच्चा।

कोरोना के यातना-शिविर में
दम तोड़ता हरेक शख़्स
अपनी मृत्यु से उतना नहीं डरता होगा
जितना कि
बिना कंधे का मुर्दा हो जाने से।

बिना कंधे के मुर्दे को
दुनिया का
ऐतिहासिक अनाथ कहा जाना चाहिए।