भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उसे मेरा ख़याल आता तो होगा / कांतिमोहन 'सोज़'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कांतिमोहन 'सोज़' |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 26: | पंक्ति 26: | ||
उसे भी सोज़ की रूदाद<ref>कहानी</ref> सुनकर | उसे भी सोज़ की रूदाद<ref>कहानी</ref> सुनकर | ||
− | घड़ी भर को | + | घड़ी भर को यक़ीं आता तो होगा ।। |
— | — |
12:19, 16 मई 2022 के समय का अवतरण
उसे मेरा ख़याल आता तो होगा ।
मोहब्बत करके पछताता तो होगा ।।
सारे-शहराह<ref>मुख्य मार्गों पर</ref> लुटकर और पिटकर
वो आख़िर अपने घर जाता तो होगा ।
सरे-मक़तल मोहब्बत की अक़ीदत<ref>महत्ता</ref>
किसी क़ातिल को समझाता तो होगा ।
कभी पूरी तरह मेले में घिरकर
अकेलेपन से घबराता तो होगा ।
कभी मेरी तरह रोता न हो पर
कभी आंसू में मुस्काता तो होगा ।
किसी आशिक़ से दिल पर चोट खाकर
उसे आईना दिखलाता तो होगा ।
उसे भी सोज़ की रूदाद<ref>कहानी</ref> सुनकर
घड़ी भर को यक़ीं आता तो होगा ।।
—
5 मई 2022
शब्दार्थ
<references/>