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"प्रेम में कविता का बसंत होना / प्रदीप त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
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16:17, 22 जून 2022 के समय का अवतरण
प्रेम में कविता का बसंत होना
वैसा ही है
जैसे कि दिन होना
एक नदी...
और रात होना
एक समुद्र...