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"प्रेम में कविता का बसंत होना / प्रदीप त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

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कविता लिखना मेरे लिए
 
प्रेम-पत्र लिखना है...
 
शायद पहली बार लिख रहा था एक कविता
 
तुम्हारे लिए
 
यकीनन पूरी तरह काँप गया था
 
जैसे रेलगाड़ी के गुजरने से
 
काँप जाते हैं रेलवे के पुल
 
 
 
प्रेम में कविता का बसंत होना
 
प्रेम में कविता का बसंत होना
 
वैसा ही है
 
वैसा ही है

16:17, 22 जून 2022 के समय का अवतरण

प्रेम में कविता का बसंत होना
वैसा ही है
जैसे कि दिन होना
एक नदी...
और रात होना
एक समुद्र...