"मेरी सब सांझें लौटा दो / दर्शन दर्शी" के अवतरणों में अंतर
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+ | मेरी सब साँझें लौटा दो | ||
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+ | कहीं गुम गया वो सूरज भी | ||
+ | सब्ज़ पहाड़ों पर चढ़ता था | ||
+ | चम-छम नदियों में नहाता था | ||
+ | खुले मैदानों में घूमता था | ||
+ | गहरे सरोवर में तैरता था | ||
+ | नीले अम्बर पक्षियों की कतारें | ||
+ | धूप में छम-छम पड़ती बरखा | ||
+ | क़ुदरत के उस बही ख़ाते पर | ||
+ | अपने पिछले दिन गिनवा दो | ||
+ | मेरी सब साँझें लौटा दो | ||
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+ | मालूम है मैं नहीं हूँ कुन्जू | ||
+ | न मैं पुन्नू नही रांझा | ||
+ | तू भी चैन्चलो | ||
+ | या सस्सी नहीं | ||
+ | फिर उलाहना गुस्सा कैसा | ||
+ | घूंघरू वाली ऊँटनी पर चढ़ कर | ||
+ | तू मेले में आई न मिलने | ||
+ | न ही तेरी मोटर के पीछे | ||
+ | चाक-दामन से मैं ही दौड़ा | ||
+ | तेरी कुरती के बटनों पर | ||
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'''मूल डोगरी से अनुवाद : पद्मा सचदेव | '''मूल डोगरी से अनुवाद : पद्मा सचदेव | ||
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13:16, 8 नवम्बर 2008 का अवतरण
जिस परदेस में बसते हो तुम
उस देस की रुत अलग है
उस देस के बादल और हैं
उस देस का सावन पराया
आकाश अजनबी धरती बेगानी
उस दुनिया की अलग कहानी
मेरे सब ख़्त नाम्तुम्हारे
पहली डाक में मुझे भिजवा दो
मेरी सब साँझें लौटा दो
कहीं गुम गया वो सूरज भी
सब्ज़ पहाड़ों पर चढ़ता था
चम-छम नदियों में नहाता था
खुले मैदानों में घूमता था
गहरे सरोवर में तैरता था
नीले अम्बर पक्षियों की कतारें
धूप में छम-छम पड़ती बरखा
क़ुदरत के उस बही ख़ाते पर
अपने पिछले दिन गिनवा दो
मेरी सब साँझें लौटा दो
मालूम है मैं नहीं हूँ कुन्जू
न मैं पुन्नू नही रांझा
तू भी चैन्चलो
या सस्सी नहीं
फिर उलाहना गुस्सा कैसा
घूंघरू वाली ऊँटनी पर चढ़ कर
तू मेले में आई न मिलने
न ही तेरी मोटर के पीछे
चाक-दामन से मैं ही दौड़ा
तेरी कुरती के बटनों पर
मूल डोगरी से अनुवाद : पद्मा सचदेव