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इळकंप मापण वाळी
म्हारी आतमा
धूजै है बिरौबर
उडीक नीं रही
तौ झाळमुखी डूंगर फूटैला
फटौफट-फटौफट रौ।
इण जमीं नै फूठरी राखण नै
दुनिया नै हरीभरी राखण नै
प्रीत री उमर बधती राखण नै
पीढ़ियां री कड़ी सधती राखण नै
चाहीजै उडीक
इणनै रैवण दो
इणनै राखौ
ढाबौ आपरै अंतस
धीजा सूं
उडीक अेक अदीठ नेहचा रौ दूजौ नांव है।