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"मा : आठ / कृष्णकुमार ‘आशु’" के अवतरणों में अंतर

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मा काढती
पैली रोटी
गा री पांती
मा रै जावण पछै
कई बार
घर आळी भूल जावै
गा री पांती री
रोटी काढणी।
बीं दिन
म्हनै लागै कै
आज फेर भूखी रै'गी मा।