"वहाँ जहाँ लहरें बिखरती हैं व्यग्र चट्टानों पर / पाब्लो नेरूदा / विनीत मोहन औदिच्य" के अवतरणों में अंतर
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'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनीत मोहन औदिच्य''' | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनीत मोहन औदिच्य''' |
09:43, 4 अगस्त 2022 का अवतरण
सॉनेट — 9
वहाँ जहाँ लहरें बिखरती हैं व्यग्र चट्टानों पर,
फूटता है स्वच्छ प्रकाश और रूप लेता है गुलाब का,
और जलधि - वृत्त सिमट जाता है कलिकाओं के समूह में,
एक बून्द नीले लवण की गिरती हुई ।
ओ चमकीले मेग्नीलिया झाग में फूटते हुए,
चुम्बकीय, क्षणिक जिसकी खिलती और लुप्त होती मृत्यु —
होती है अस्तित्त्वहीनता सदा के लिए :
टूटा हुआ नमक, जलधि की चकाचौंध करती लड़खड़ाहट ।
प्रिया ! तुम और मैं, हम साथ में करते हैं पुष्टि शान्ति की,
जबकि सागर कर देता है नष्ट अपनी स्थाई मूर्त्तियाँ,
गिरा देता है अपने तीव्र गति के स्तम्भ और श्वेतता ।
क्योंकि उन अदृश्य वस्त्रों को बुनने की प्रक्रिया में,
सरपट भागते जल में, निरन्तर रेत में,
हम निर्मित करते हैं मातृ स्थाई मृदुलता ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनीत मोहन औदिच्य
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लीजिए, अब इस रचना का अँग्रेज़ी अनुवाद पढ़िए
Pablo Neruda
Sonnet IX
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लीजिए, अब इस रचना को मूल स्पानी भाषा में पढ़िए
Neruda, Pablo
Soneto IX
Al golpe de la ola contra la piedra indócil
la claridad estalla y establece su rosa
y el círculo del mar se reduce a un racimo,
a una sola gota de sal azul que cae.
Oh radiante magnolia desatada en la espuma,
magnética viajera cuya muerte florece
y eternamente vuelve a ser y a no ser nada:
sal rota, deslumbrante movimiento marino.
Juntos tú y yo, amor mío, sellamos el silencio,
mientras destruye el mar sus constantes estatuas
y derrumba sus torres de arrebato y blancura,
porque en la trama de estos tejidos invisibles
del agua desbocada, de la incesante arena,
sostenemos la única y acosada ternura.