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"सपनों में तुम आते हो / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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16:21, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

सपनों में तुम आते हो
लेकिन फिर खो जाते हो

बादल बनकर छाते हो
बिन बरसे उड़ जाते हो

कैसे मुझको नींद पड़े
ख़्वाबों में आ जाते हो

तुमसे बात नहीं करनी
क्यों इतना तड़पाते हो

आंखें लोग गड़ाये हैं
छत पर किंतु बुलाते हो

तुम ही घायल भी करते
मरहम तुम्हीं लगाते हो

मुझको बुद्धू समझ रहे
झूठे ख़्वाब दिखाते हो