भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुड़िया / गरिमा सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गरिमा सक्सेना |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:40, 25 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

आज सुबह से
गुड़िया का मुखड़ा
उदास है

गुड़िया, गुड़िया को सीने से
लिपटायी है
भींच रही मुठ्ठी अंदर से
घबरायी है
स्मृतियों ने
पहन लिया
डर का लिबास है

छुवन-छुवन का अंतर
उसको समझ आ रहा
बार-बार उनका घर आना
नहीं भा रहा
डर से दूर
कहाँ जाये
डर आसपास है

सोच रही है मम्मी को
सबकुछ बतला दूँ
एक चोट भीतर है
उसको भी दिखला दूँ
पर क्या बोले
इस घर में वह
बड़ा खास है