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"आह, वो ख़ूबसूरत बान्धवियाँ / येव्गेनी रिज़निचेंका / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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चेहरे पे एक मुखौटा-सा है, आकुल-व्याकुल सा है यौवन
 
चेहरे पे एक मुखौटा-सा है, आकुल-व्याकुल सा है यौवन
 
बारीक और महीन बुनाई के घूँघट से ढका हुआ चेहरा
 
बारीक और महीन बुनाई के घूँघट से ढका हुआ चेहरा
तेरे गुस्से में जो प्यार छुपा, है वही रति का पंचशर घेरा
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और गुस्से में जो प्यार छुपा, है वही रति का पंचशर घेरा
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'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''

22:19, 18 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

आह, वो तितली सी सुन्दर, भोली-भाली बान्धवियाँ
आह, वो नन्हे पैरों व कजली आँखों वाली जाह्नवियाँ
अभी नई-नई हैं, ख़ाली पड़ी हैं, ये ख़ूबसूरत इमारतें
पुरानी परीकथाओं की हैं जैसे, एकदम नई इबारतें

ओह, ये डरी हुई सी बेख़बरी औ’ घबराया अनजानापन
चेहरे पे एक मुखौटा-सा है, आकुल-व्याकुल सा है यौवन
बारीक और महीन बुनाई के घूँघट से ढका हुआ चेहरा
और गुस्से में जो प्यार छुपा, है वही रति का पंचशर घेरा



मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

 
लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
            Евгений Резниченко
                    * * *
Ах зти милые созданиья
Ах эти ножки эти глазки
Ещё необжитые зданья
Отреставрированной сказки

Ах это робкое незнанье
Своей ненастояшей маски
Ах это тонкое вязанье
Переплетённой злостью ласки

К себе и ко всему живому
Забывшему дорогу к дому
Где ждут ревнивые мужья
на всё взирающие слепо
С ружьём и чувством: -- Вот уж я!..

А хочется любить нелепо.

1991