भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जब मरते हैं / विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ / वरयाम सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ |अनुवादक=वर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | {{KKCatKavita}}[[Category:रूसी भाषा]] | + | {{KKCatKavita}} |
+ | [[Category:रूसी भाषा]] | ||
<poem> | <poem> | ||
जब घोड़े मरते हैं — | जब घोड़े मरते हैं — |
12:44, 19 जनवरी 2023 के समय का अवतरण
जब घोड़े मरते हैं —
वे हाँफने लगते हैं,
जब घास मरती है —
वह सूख जाती है,
जब सूर्य मरते हैं —
वे बुझ जाते हैं,
जब मनुष्य मरते हैं —
वे गीत गाते हैं ।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह