भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वर्ष, लोग और राष्ट्र / विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ / वरयाम सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ |अनुवादक=वर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:55, 19 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

वर्ष, लोग ओर राष्‍ट्र
दूरे चले जाते हैं सदा के लिए
जैसे बहता हुआ पानी ।

प्रकृति के लचीले दर्पण में
तारे जाल हैं, और मछलियाँ — हम
और देवता — अन्धकार में प्रेतात्‍माएँ ।


मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह