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"निगाहों दिल का अफसाना / आनंद नारायण मुल्ला" के अवतरणों में अंतर
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− | निगाहों दिल का अफ़साना करीबे इख्तिताम आया । | + | निगाहों दिल का अफ़साना करीबे इख्तिताम आया । |
− | हमें अब इससे क्या आया शहर या वक्तेशाम आया ।। | + | हमें अब इससे क्या आया शहर या वक्तेशाम आया ।। |
− | ज़बाने इश्क़ पर एक चीख़ बनकर तेरा नाम आया, | + | ज़बाने इश्क़ पर एक चीख़ बनकर तेरा नाम आया, |
− | ख़िरद की मंजिलें तय हो चुकी दिल का मुकाम आया । | + | ख़िरद की मंजिलें तय हो चुकी दिल का मुकाम आया । |
− | न जाने कितनी शम्मे गुल हुई कितने बुझे तारे, | + | न जाने कितनी शम्मे गुल हुई कितने बुझे तारे, |
− | तब एक खुर्शीद इतराता हुआ बालाये बाम आया । | + | तब एक खुर्शीद इतराता हुआ बालाये बाम आया । |
− | इसे आँसू न कह एक याद अय्यामें गुलिश्ताँ है, | + | इसे आँसू न कह एक याद अय्यामें गुलिश्ताँ है, |
− | मेरी उम्रे खाँ को उम्रे रफ़्ता का सलाम आया । | + | मेरी उम्रे खाँ को उम्रे रफ़्ता का सलाम आया । |
− | बेरहमन आबे गंगा शैख कौशर ले उड़ा उससे, | + | बेरहमन आबे गंगा शैख कौशर ले उड़ा उससे, |
− | तेरे होठों को जब छूता हुआ मुल्ला का जाम आया | | + | तेरे होठों को जब छूता हुआ मुल्ला का जाम आया | |
10:02, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण
लेखक: आनंद नारायण मुल्ला
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निगाहों दिल का अफ़साना करीबे इख्तिताम आया ।
हमें अब इससे क्या आया शहर या वक्तेशाम आया ।।
ज़बाने इश्क़ पर एक चीख़ बनकर तेरा नाम आया,
ख़िरद की मंजिलें तय हो चुकी दिल का मुकाम आया ।
न जाने कितनी शम्मे गुल हुई कितने बुझे तारे,
तब एक खुर्शीद इतराता हुआ बालाये बाम आया ।
इसे आँसू न कह एक याद अय्यामें गुलिश्ताँ है,
मेरी उम्रे खाँ को उम्रे रफ़्ता का सलाम आया ।
बेरहमन आबे गंगा शैख कौशर ले उड़ा उससे,
तेरे होठों को जब छूता हुआ मुल्ला का जाम आया |