भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उनके घर के करीबतर होता / मोहम्मद मूसा खान अशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद मूसा खान अशान्त |अनुवादक=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:28, 28 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण
उनके घर के करीबतर होता
तो मिरा घर भी कोई घर होता
उन हवाओं से साँस भर लेता
उनका आँचल जिधर जिधर होता
गुन गुनाता नई-नई गज़लें
वो मिरी ज़ीस्त मे अगर होता
सज़ सँवर के निकलते वो बाहर
ईद का ज़श्न अपने घर होता
आरज़ू दिल में है यही मूसा
आपका दर और अपना सर होता