भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छन्द-गन्ध / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:54, 16 मार्च 2023 के समय का अवतरण

नीले फूलों से लदी डाल में
जैसे छोटी एक चिड़िया घूमती है
वैसे घूमने दो तुम
मेरे मन को
अपने में, जागते में, सपने में ।

नहीं;
एक पंखुरी नहीं बिखरेगी
तुम्हारे किसी फूल की ।

मगर
ओ नीले फूलों से भरी लता
इतना तो बता
मेरे मन का चहकना
तुझ तक पहुँच रहा है या॒ नहीं
पहुँच रहा है जैसे मुझ तक
तेरा महकना ।

यह कविता कवि की मूल पाण्डुलिपि से लेकर यहाँ टाईप की गई है।