भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फ़र्क / भवानी प्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:51, 16 मार्च 2023 के समय का अवतरण
मेरा और तुम्हारा
सारा फ़र्क
इतने में है
कि तुम लिखते हो
मैं बोलता हूँ
और कितना फ़र्क हो जाता है इसमें ?
तुम ढाँकते हो,
मैं खोलता हूँ ।
यह कविता कवि की मूल हस्तलिखित पाण्डुलिपि से लेकर यहाँ प्रस्तुत की गई है और 2002 में प्रकाशित कवि की रचनावली में शामिल नहीं है।