भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दाग़ दामन पे किया है न गवारा हमने / प्रमोद शर्मा 'असर'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमोद शर्मा 'असर' |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:20, 20 मार्च 2023 के समय का अवतरण

दाग़ दामन पे किया है न गवारा हमने ।
जो हुआ कर लिया मंज़ूर ख़सारा हमने ।।

तुझसे रखने को भरम अपनी शनासाई का ,
बेसबब तुझको कई बार पुकारा हमने ।

ख़ुद को बहलाया, वो रस्ते में हैं, आते होंगे,
यूँ भी अक्सर शब-ए-फ़ुर्कत को गुज़ारा हमने ।

छोड़ जाना है तो इल्ज़ाम लगा दो कुछ भी,
साँस - दर - साँस भला चाहा तुम्हारा हमने ।

पास रक्खा नहीं रिश्तों का 'असर' जिसने भी,
मुड़ के देखा नहीं फिर उसको दुबारा हमने ।