भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भावनाओं के क्षितिज पर / प्रताप नारायण सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('यह, भावनाओं के क्षितिज पर गुनगुनाता कौन है! नवगीत क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 +
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=प्रताप नारायण सिंह
 +
|अनुवादक=
 +
|संग्रह=नवगीत/ प्रताप नारायण सिंह
 +
}}
 +
{{KKCatNavgeet}}
 +
<poem>
 
यह, भावनाओं के क्षितिज पर  
 
यह, भावनाओं के क्षितिज पर  
 
गुनगुनाता कौन है!
 
गुनगुनाता कौन है!
पंक्ति 25: पंक्ति 33:
 
वाचालता से मौन के  
 
वाचालता से मौन के  
 
परिचय कराता कौन है!
 
परिचय कराता कौन है!
 +
</poem>

22:34, 30 मार्च 2023 के समय का अवतरण

यह, भावनाओं के क्षितिज पर
गुनगुनाता कौन है!

नवगीत कोई आचमन सा
विमल अधरों पर धरे
निष्पाप स्वर के कम्पनों में
बोल अति निश्छल भरे

फिर, सो चुकी सम्भावनाओं
को जगाता कौन है!

निष्काम, दाता-कर्म में रत
कृष्ण के उपदेश सा
निर्लिप्त हो हर लालसा से
उमापति के वेश सा

आनंद के आयाम नव
इतने, दिखाता कौन है!

वह पास कितना, दूर कितना
यह नहीं परिमेय है
अनुभूति में ही वास करता
छुवन से अज्ञेय है

वाचालता से मौन के
परिचय कराता कौन है!