भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बुनाई का दुख -2 / कमल जीत चौधरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमल जीत चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{K...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | आजीवन | |
− | + | एक धागा बुनता रहा | |
− | + | मेरा क्षण-प्रतिक्षण | |
− | + | प्रतिकार में उसने | |
− | + | खो दिया अपना अन्तिम सिरा । | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
</poem> | </poem> |
23:48, 17 मई 2023 के समय का अवतरण
आजीवन
एक धागा बुनता रहा
मेरा क्षण-प्रतिक्षण
प्रतिकार में उसने
खो दिया अपना अन्तिम सिरा ।