भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कला की इष्टदेवियाँ / बैर्तोल्त ब्रेष्त / मोहन थपलियाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त |अनुवादक=मोहन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:11, 21 मई 2023 के समय का अवतरण

फ़ौलादी कवि
जब इन्हें पीटता है
देवियाँ और ऊँचे स्वरों में गाती हैं

सूजी आँखों से
वे उसका
आदर करती हैं

पूँछ मटकाती हुई
कुतियों की तरह
उनके नितम्ब फड़कते हैं पीड़ा से
और जाँघें वासना से ।

(1953)

मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : मोहन थपलियाल