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[[Category: ताँका]]
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153
इतना प्यार!
निशदिन बौछार
आँखों में तेरी ज्योति
दीपित हो भोर -सी।
58
मन उत्फुल्ल
बरसें सुख- घन
खिले आँगन
सबकी ये दुआएँ
दुःख न पास आएँ।
59
नेह की धूप
प्राणप्रिया बिटिया
आत्मा का रूप
मिलें जितने जन्म
साथ रहना सदा।
60
किसने भेजी
सुगन्ध पिरोकर
भाव- वल्लरी
पास आकर छुआ
वो तुम थी प्राणवायु!!
61
झरती बूँदें
हिमनद उर से
सिंचित प्राण
कोई न होगा वह
केवल तुम्हीं तो हो।
</poem>