भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हमारे गाँव मामाजी आया / दोपदी सिंघार / अम्बर रंजना पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दोपदी सिंघार |अनुवादक=अम्बर रंजन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
03:41, 11 अगस्त 2023 के समय का अवतरण
हमारे गाँव मामाजी आया
चावल से किया टीका
गेंदे का हार पहनाया
एसडीएम कलेक्टर एसपी सब हाथ जोड़ खड़े थे
फिर दलित आदिवासियों को
मामाजी ने बुलवाया
हमारे गाँव मामाजी आया
लाइन बनाके हाथ जोड़ के मुँह झुकाए
खड़े भांजे
मामाजी बोले
आज दलित की चाय पियेंगे
बम्मन बनियों का बहुत खाया
चवन्नी लीटर दूध बच्चे को जो लेती थी
उससे चाय बनाई, बिस्कुट मँगावाए
घूँट भर मामाजी ने चाय पी
बिस्कुट उन्हें पसंद न आए
बच्चा मेरा ख़ुश कि अब बिस्कुट खाएगा
मगर अफ़सर लोग
बिस्कुट का कर गए सफाया
हमारे गाँव मामाजी आया।
(हमारे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्रीजी को मामाजी बोलते हैं।)