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+ | ठुमक ठुमककर, घुमक-घुमककर | ||
+ | उनमें मेल कराया | ||
+ | '''-0-(1-2-1978 -बाजार-पत्रिका)''' | ||
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10:53, 18 अगस्त 2023 के समय का अवतरण
बन्दर मामा पहन पजामा
जा रहे थे ससुराल |
रस्ते में मिल गये भालूजी
लगने पूछने हाल।
भरे गले से मामा बोले.
क्या बतलाऊँ भाई।
बँदरिया रानी की एक-
दिन हमसे हुई लड़ाई।
कान दबाकर हम बैठ गए
जब कोने में डर से ।
पहन घाघरा उठा अटैची
वह निकल गई घर से
भालू बोला- मत घबराओ
मैं भी चलूँगा साथ
दोनों जब समझाएँगे, तो
बनेगी बिगड़ी बात ।
बन्दर की ससुराल पहुँच
भालू ने 'नाच दिखाया
ठुमक ठुमककर, घुमक-घुमककर
उनमें मेल कराया
-0-(1-2-1978 -बाजार-पत्रिका)