भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पड़ोसी / कजाल अहमद / जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कजाल अहमद |अनुवादक=जितेन्द्र कुम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
 
अगर मै कहूँ
 
अगर मै कहूँ
 
तुम केवल समय की बरबादी हो ।
 
तुम केवल समय की बरबादी हो ।
 +
 +
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी'''
 +
 +
'''लीजिए, अब इसी कविता को अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
 +
            Kajal Ahmad
 +
 
</poem>
 
</poem>

00:17, 11 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण

तुम हो
एक फल काटने वाले
चाक़ू की तरह

ऐसा कोई समय नहीं
जब तुम
हमारे खाने की मेज़ पे न हो

किन्तु मुझे माफ़ करना
अगर मै कहूँ
तुम केवल समय की बरबादी हो ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी

लीजिए, अब इसी कविता को अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
             Kajal Ahmad