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"अलेक्सान्दर ब्लोक" के अवतरणों में अंतर
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+ | * [[घास उग आई है उन क़ब्रों पर, जिन्हें हमने भुला दिया / अलेक्सान्दर ब्लोक / अनिल जनविजय]] | ||
+ | * [[पहाड़ के नीचे तलहटी में वायलिन कराह रही है / अलेक्सान्दर ब्लोक / अनिल जनविजय]] | ||
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+ | * [[क्लियोपाट्रा ... / अलेक्सान्दर ब्लोक / वरयाम सिंह]] | ||
+ | '''रमेश कौशिक द्वारा अनूदित''' | ||
* [[सीथियाई / अलेक्सान्दर ब्लोक]] | * [[सीथियाई / अलेक्सान्दर ब्लोक]] | ||
* [[रात सड़क लैम्प... / अलेक्सान्दर ब्लोक]] | * [[रात सड़क लैम्प... / अलेक्सान्दर ब्लोक]] |
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अलेक्सान्दर ब्लोक
जन्म | 28 नवंबर 1880 |
---|---|
निधन | 10 अगस्त 1921 |
जन्म स्थान | सांक्त पितेरबुर्ग, रूस |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
एक सुन्दर स्त्री के बारे में कविताएँ, बर्फ़ का मुखौटा, बर्फ़ से ढकी पृथ्वी (कविता-संग्रह); बारह, प्रतिशोध (लम्बी कविताएँ); अपरिचिता, नियति के गीत, गुलाब और सलीब (नाटक); रूस और बुद्धिजीवी वर्ग, प्रकृति और संस्कृति (लेखों के संग्रह)इतालवी कविताओं का अनुवाद। कवि ल्येरमतोफ़ की चुनी हुई रचनाओं का सम्पादन। | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
अलेक्सान्दर ब्लोक / परिचय |
प्रतिनिधि कविताएँ
अनिल जनविजय द्वारा अनूदित
- प्रेम करता हूँ मैं आपको मदाम ! / अलेक्सान्दर ब्लोक
- जीवित हूँ मैं अभी, हिया मेरा बघेरा / अलेक्सान्दर ब्लोक
- तब सूरज डूब रहा था जब तुझसे मैं मिला था / अलेक्सान्दर ब्लोक / अनिल जनविजय
- घास उग आई है उन क़ब्रों पर, जिन्हें हमने भुला दिया / अलेक्सान्दर ब्लोक / अनिल जनविजय
- पहाड़ के नीचे तलहटी में वायलिन कराह रही है / अलेक्सान्दर ब्लोक / अनिल जनविजय
वरयाम सिंह द्वारा अनूदित
रमेश कौशिक द्वारा अनूदित